रूस पूरी तरह से लॉकडाउन है। हवाई सेवाएं बंद हैं। वहां सभी छात्र समेत नागरिक घरों में कैद हैं। इनमें से खरगोन जिले का पाडल्या निवासी छात्र संस्कार रावत भी शामिल है। माता शीला और नानी कलावती रावत अंतराष्ट्रीय हवाई यात्रा बंद होने से रूस में फंसे बच्चे को लेकर परेशान हैं। माता शीला रावत ने बताया मेरा एक लड़का है जो रूस में हॉस्टल रह रहा है।वह भारत नहीं आ पा रहा है। संस्कार से फोन पर बात हो रही है। संस्कार ने बताया कि वह कबरडिनो बालकेरियन स्टेट यूनिवर्सिटी नालचीक रूस में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है।
रूस में भारत के 500 बच्चे फंसे हैं। जिसमें से 350 बच्चे भारत आना चाह रहे हैं। एक साथ सामूहिक रूप से रहने से बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का डर सता रहा है। रूस में कोरोनावायरस तेजी से फैल रहा है, जिससे बच्चों को संक्रमण होने का डर सता रहा। संस्कार ने बताया कि हम हॉस्टल में सुरक्षित हैं, लेकिन यहां पर एक ही फ्लोर पर 60 से अधिक छात्र निवास कर रहे हैं। जो एक ही किचन व लैट-बाॅथ का उपयोग कर रहे हैं। कुछ दिन पहले हमारे पास की मल्टी में दो छात्रों को कोरोना संक्रमित पाया गया। ऐसे में एक साथ इतनी संख्या में छात्र होने से सभी के मन में संक्रमण फैलने का डर है। सभी लोग घर जाना चाहते हैं, लेकिन अंतराष्ट्रीय हवाई सेवा बंद होने से घर नहीं जा पा रहे हैं। इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ट्वीट किया। हमें कैसे भी करके अपने घर लाने की व्यवस्था कराई जाए। हम बस घर आना चाहते हैं।
सरकार से की मांग, नहीं मिला जवाब
छात्रों ने बताया कि रूस में हॉस्टल से 40 बच्चों ने पीएम मोदी को ट्वीट किया, लेकिन अभी तक कोई वापस जवाब नहीं आया। छात्रों ने सामूहिक एक वीडियो बनाकर भारत सरकार से मांग की है कि हम छात्रों को भारत देश लाया जाए। छात्र ने बताया कि 30 मार्च को भारत के लिए टिकट करा लिए थे, लेकिन देश में कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर लॉकडाउन होने से अंतराष्ट्रीय उड़ाने बंद हो गईं। जिससे टिकट कैंसल होने के कारण भारत नहीं आ सके। नानी ने बताया कि संस्कार की थर्ड ईयर है। तीन सालों से रूस में ही रह रहा है। उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि बच्चों को वापस भारत लाया जाए।